Thursday, 7 March 2013

बस / याद

__________मधुबाला के बारे में कुछ भी कहना , ज़ुरूरी इसलिये नहीं क्यूंकि उनका पूरा जीवन खुली क़िताब की तरह रहा ! सभी , सबकुछ जानते हैं :)





















ज़िन्दगी सुन !
बन्द कर सितम !
न रहे हम !
__________ डॉ . प्रतिभा स्वाति 

3 comments: