Saturday 31 May 2014

कॉपी राईट एक्ट



               लेखक / रचनाकार के लिये बनाया गया ये अधिनियम , आख़िर क्यूँ कानून की किताबों ही में , कसमसाकर रह गया ? क्यूँ इन्टरनेट पर ,इस  बारे में कोई पुख्ता कदम नहीं उठाया गया ? क्यूँ writer इतना विवश या स्वार्थपर है ? क्यूँ रचना पर अनधिकृत चेष्टा करने वालों को नैतिकता का बोध नहीं ? कहाँ  गए वे सिद्धांत ? कहाँ हैं वे संस्कार ? आखिर कमी कहाँ पर  है ?
                   कब /लेखक ख़ुद अपने हक़ के लिये ..... उठाएगा आवाज़ ? ..... सवाल उठाना मेरा अभिप्राय नहीं है ! समाधान की ख़ोज / उकसा रही है मुझे ... ये सब लिखने के लिये ....
--------------------- डॉ. प्रतिभा स्वाति

Sunday 18 May 2014

शीशमहल

  


शीशमहल !
कैद राजकुमारी !
विपदा भारी !

क्या है ? शीशे  के पार !
बड़ी लाचार !

देखे तो है / सबको !
क्यूँ / दिखे न / किसीको !

ये मायाजाल !
किसे कहे निकाल ?

कैसा  समय-चक्र  ?
है शनि -वक्र !

दिन -बहुरे !
फिर खिला आकाश !
लो टूटा  नागपाश !
--------------------------- चोका : डॉ . प्रतिभा स्वाति

Saturday 17 May 2014

तर्क / भाग 1

       तर्क ----- ये वो शब्द है , जिससे तमाम शब्दों के तन्तु ,प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से जुड़े हैं . जैसे तर्क का अर्थ ,अभिप्राय ,जन्म ,इतिहास ,परिभाषा ,शास्त्र ,इससे जुड़े लोग ,इसका कार्यक्षेत्र ,इसके प्रभाव , परिणाम और ज़ुरूरत !इसके सबसे नज़दीक जो शब्द है / वो है ' कुतर्क ':)
           भारतीय  दर्शन में / प्रमाणशास्त्र की विषयवस्तु में ,तर्कशास्त्र शामिल है . इसके  प्रवर्तक ' अरस्तु ' हैं , ऐसा माना जाता है . सुकरात और प्लेटो के नाम भी जुड़े हैं . मार्गन और बूल (ये अंग्रेज़ गणितग्य थे ), जिन्होंने इस क्षेत्र में अपना योगदान दिया .
                         कुल मिलाकर तर्कशास्त्र कोई हल्की - फ़ुल्की चीज़ नहीं है ,जिसकी चर्चा यूँ ही चलते -फिरते , चाय /पान के साथ की जा सके . लेकिन , आम आदमी इसकी चपेट में आता रहता है ! वह निरुत्तर हो जाता है ! किसलिए ? क्या तर्क का सम्बन्ध शिक्षा / प्रत्युतपन्नमति / चिन्तन या गहन अध्ययन से है ?
गणित से है ? सिद्धांत  और विश्लेषण  से है ?
               भारतीय दर्शन  के परिप्रेक्ष्य में , इसका सम्बन्ध न्याय शास्त्र  से है ! इसीलिए खूब चलते  हैं तर्क के तीर/तलवार .न्यायालय में ! तर्क  दोधारी तलवार है ! तर्क का सम्बन्ध , सच -सही -न्यायसंगत होना चाहिये ( नैतिक और सैद्धांतिक तौर पे ) 
-------------------- कई विषय ऐसे हैं --- जिन्हें मैं , समझना और समझाना चाहती हूँ ! छूना चाहती हूँ ! जिनमें डूबना चाहती  हूँ ! जिनके  प्रवाह में बहना चाहती हूँ ! जिनपर  चर्चा करना चाहती हूँ ! विषयवस्तु  , मुक्तक  की तरह बिखरी पड़ी है , मस्तिष्क में ! उसे इज़हार का हक़ है ! फर्ज़ मुझे ललकारते हैं , मेरी कविताई और कल्पनाशीलता   को कोसते हैं, यदि ------- चिन्तन / स्रजन /ध्यान बाधित हों तो !
                       जिन भी विषयों को छुआ है / वक्त मिलते ही उन्हें edit  करूंगी ! या comment में अपनी बातें पूरी लिखूंगी / जिससे  लेखन के ज़रिये वो पूरी तस्वीर सामने आए ! जो आने वाली नस्लों को विस्तृत वितान देने का वादा भले ना करे , पर  मंज़िल तक  पहुँचाने  वाली , पगडंडी साबित हो !
-------------------------- जारी 
-------------------------------------- डॉ. प्रतिभा स्वाति

सॉनेट / भाग 1

             एक आम पाठक , जो व्याकरण की  जद्दोजहद में नहीं पड़ता ! काव्य को पसंद करता है . उसे फर्क समझ में आता है ---- गद्य और पद्य का ! कविता और अकविता का ! पहचान लेता वो ---- दोहे और चौपाई !
         कोई शब्दों की धार पसंद करता है / तो कोई भावों का प्रवाह . कोई  सम्वेदना  के  सम्प्रेषण को  अपनी अनुभूति के इज़हार की तरह ग्रहण करता  है , तो कोई .............
    काव्य / हर देश में, हर भाषा  में लोकप्रिय  रहा . हर काल में ! हम  कह सकते हैं . कमोबेश , हर हाल में  कवि ने अपने  दायित्व के निर्वाह की कोशिश की है ! विदेशी काव्य को , बड़ी आत्मीयता  से स्वीकारा - सराहा और स्रजित  किया है !
          जापान के हाइकू / हाईगा /टंका / सेदोका / चोका  हों ! या  फिर ----------------------- ' सॉनेट '
-------------------------- जी हाँ ! ये भारत के नहीं / पर हमारे काव्यजगत में लिखे और सराहे गए ! सॉनेट का विभाजन / उसकी  रचनात्मक भिन्नता के अनुसार 4  भागों में ही किया गया ! शेक्स्पिरियन सॉनेट के बाद ------------------- 5 वे स्थान पर / स्व. त्रिलोचन जी को रखा जा सकता है , उन्होंने 550 से ज्यादा  सॉनेट लिखे , हिंदी में !---------------------------- जारी....

डॉ. प्रतिभा स्वाति  

Wednesday 14 May 2014

रात की रानी ....



 सुनती  नहीं !
वो महकती रही !
कहती रही !

धुली चांदनी रातें !
सुनके बातें !

कहती क्या आखिर !
मिलके फिर !

राज़ कुछ गहरे !
स्याह पहरे !

इशारों - इशारों में !
सुनें तारों ने !

कहने को कह गई !
चाह थी रह गई !
----------------------- चोका : डॉ . प्रतिभा स्वाति

Saturday 10 May 2014

चोका : मिस यू मां




 
 दो ही बातें हैं !
वो होती तो क्या होता ?
न होती तो क्या ?

बह रही हैं अभी !
आंसू बनके !
गुज़र रहे दिन !
यूँ जीवन के !

खोजती सितारों में !
मैं बार -बार !
पर सब बेकार !

तेरी कमी खलती !
बस हाथ मलती !
----------------------------- डॉ. प्रतिभा स्वाति



DR. PRATIBHA SOWATY: सेदोका : बचपन

DR. PRATIBHA SOWATY: सेदोका : बचपन:



  गुड्डे -  गुड़िया !

 खेले  थे घर - घर !

 अब गया बिसर !



 यादों के पर !

 ये  उड़- उड़ कर !

 आएं अक्सर !

 ----------------------- डॉ. प्रतिभा स्वाति