Saturday, 17 May 2014

सॉनेट / भाग 1

             एक आम पाठक , जो व्याकरण की  जद्दोजहद में नहीं पड़ता ! काव्य को पसंद करता है . उसे फर्क समझ में आता है ---- गद्य और पद्य का ! कविता और अकविता का ! पहचान लेता वो ---- दोहे और चौपाई !
         कोई शब्दों की धार पसंद करता है / तो कोई भावों का प्रवाह . कोई  सम्वेदना  के  सम्प्रेषण को  अपनी अनुभूति के इज़हार की तरह ग्रहण करता  है , तो कोई .............
    काव्य / हर देश में, हर भाषा  में लोकप्रिय  रहा . हर काल में ! हम  कह सकते हैं . कमोबेश , हर हाल में  कवि ने अपने  दायित्व के निर्वाह की कोशिश की है ! विदेशी काव्य को , बड़ी आत्मीयता  से स्वीकारा - सराहा और स्रजित  किया है !
          जापान के हाइकू / हाईगा /टंका / सेदोका / चोका  हों ! या  फिर ----------------------- ' सॉनेट '
-------------------------- जी हाँ ! ये भारत के नहीं / पर हमारे काव्यजगत में लिखे और सराहे गए ! सॉनेट का विभाजन / उसकी  रचनात्मक भिन्नता के अनुसार 4  भागों में ही किया गया ! शेक्स्पिरियन सॉनेट के बाद ------------------- 5 वे स्थान पर / स्व. त्रिलोचन जी को रखा जा सकता है , उन्होंने 550 से ज्यादा  सॉनेट लिखे , हिंदी में !---------------------------- जारी....

डॉ. प्रतिभा स्वाति  

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