Wednesday 30 October 2013

फूल

           'गीत '  सच पूछा जाए तो मुझे अच्छे लगते हैं !शुरुआत के  दिनों में तमाम बाल - गीत लिखे ! जिन्हें  'नई दुनिया ' बच्चो के कालम में प्रकाशित करता रहा ! अब भी  मनी ऑर्डर की पर्चियाँ सहेजकर रखती हूँ , कि तब मै गीत लिखा करती थी ! कहानी लिखती थी ! फिर हाइकू 
लिखने लगी ! मुझे  वर्णिक छंद पसंद हैं ये बात नही ! 
सच  कहूँ तो मात्रिक छंद  बड़े कठिन लगते हैं !:)
_______ और वही बात फ़िर से type करना , बेहद उबाऊ महसूस होता है :)
-------------------------------- डॉ . प्रतिभा स्वाति 
----------------------------------------------------------    
  ------------------------------------------------------------
ये ' रोज़ -डे ' पर लिखा था ! हाँ , मै फूलों को तोड़े जाने के ख़िलाफ़ हूँ ! :)

--------------------------- ये बात फिर कभी !   

Tuesday 29 October 2013

4 तांका रचनाएँ


         टंका  : डॉ . प्रतिभा स्वाति
--------------------------------------
बिखेर गए !
सूरज और चाँद !
सोना औ चांदी !
धरा ने हरियाली !
आ गई ख़ुशहाली !
-------------------------------





                      हाइकू के  बाद haiga और फिर उसमे 7 + 7 के जुड़ाव से टंका का विधान काव्य में विकास के लिये 
हुआ ! हाइकू तो खेल की तरह है ! जिसे समूह में खेला 
जाता है ! जैसे हमारे बच्चे अंत्याक्षरी खेलते हैं ! और 
बड़े उसी सरल से खेल को कभी संशोधित करते हैं ! कभी परिवर्धित ! और नवीन रूप सामने आता है !
         ये 4 टंका रचनाएँ काफ़ी पहले की हैं ! मैने लिखने 
की शुरुआत fb पर अपने page से की ! हाइकू और haiga के साथ अब टंका / sedoka और चोका रचनाएँ 
भी इसी ब्लॉग पर देती रहूंगी !
------------------------- डॉ . प्रतिभा स्वाति