टंका : डॉ . प्रतिभा स्वाति
--------------------------------------
बिखेर गए !
सूरज और चाँद !
सोना औ चांदी !
धरा ने हरियाली !
आ गई ख़ुशहाली !
-------------------------------
हाइकू के बाद haiga और फिर उसमे 7 + 7 के जुड़ाव से टंका का विधान काव्य में विकास के लिये
हुआ ! हाइकू तो खेल की तरह है ! जिसे समूह में खेला
जाता है ! जैसे हमारे बच्चे अंत्याक्षरी खेलते हैं ! और
बड़े उसी सरल से खेल को कभी संशोधित करते हैं ! कभी परिवर्धित ! और नवीन रूप सामने आता है !
ये 4 टंका रचनाएँ काफ़ी पहले की हैं ! मैने लिखने
की शुरुआत fb पर अपने page से की ! हाइकू और haiga के साथ अब टंका / sedoka और चोका रचनाएँ
भी इसी ब्लॉग पर देती रहूंगी !
------------------------- डॉ . प्रतिभा स्वाति
धरा ने बिखेर दी
ReplyDeleteनहीं हो सकता यहां पर क्या?
बिलकुल हो सकता है सर / 4th लाइन आपकी पेंट कर दूंगी !
Deleteहाइकू, हाइगा, टंका सेदोका ... आप माहिर हैं इन सब विधाओं में अपने आप को बाखूबी व्यक्त करने में ...
ReplyDeleteउम्दा ...
sr ye sb bahut aasan h / kyuki varnik chhand hn sabhi . mujhe matrik chhand kathin lagte hn !
ReplyDelete