Tuesday, 29 October 2013

4 तांका रचनाएँ


         टंका  : डॉ . प्रतिभा स्वाति
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बिखेर गए !
सूरज और चाँद !
सोना औ चांदी !
धरा ने हरियाली !
आ गई ख़ुशहाली !
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                      हाइकू के  बाद haiga और फिर उसमे 7 + 7 के जुड़ाव से टंका का विधान काव्य में विकास के लिये 
हुआ ! हाइकू तो खेल की तरह है ! जिसे समूह में खेला 
जाता है ! जैसे हमारे बच्चे अंत्याक्षरी खेलते हैं ! और 
बड़े उसी सरल से खेल को कभी संशोधित करते हैं ! कभी परिवर्धित ! और नवीन रूप सामने आता है !
         ये 4 टंका रचनाएँ काफ़ी पहले की हैं ! मैने लिखने 
की शुरुआत fb पर अपने page से की ! हाइकू और haiga के साथ अब टंका / sedoka और चोका रचनाएँ 
भी इसी ब्लॉग पर देती रहूंगी !
------------------------- डॉ . प्रतिभा स्वाति 




4 comments:

  1. धरा ने बिखेर दी
    नहीं हो सकता यहां पर क्या?

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    1. बिलकुल हो सकता है सर / 4th लाइन आपकी पेंट कर दूंगी !

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  2. हाइकू, हाइगा, टंका सेदोका ... आप माहिर हैं इन सब विधाओं में अपने आप को बाखूबी व्यक्त करने में ...
    उम्दा ...

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  3. sr ye sb bahut aasan h / kyuki varnik chhand hn sabhi . mujhe matrik chhand kathin lagte hn !

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