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ये बात और है......... कि वो दोनों ,
क्षितिज़ पर..... ज़रा देर को ठहरे !
नहीँ दोनों में, कोई गिला-शिकवा,
दिखें इन्द्रधनुष औ ख़्वाब सुनहरे !
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ज़मी को है.........गिला ख़ुद से !
आसमां को .. कुछ दे नहीं पाती !
हर मौसम से की हैं..... मनुहारें ,
कोई तो पहुंचाए ,प्रेम की पाती !
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पर आसमां ...सब समझता है !
है दोनों ही की ..........मज़बूरी !
रिश्ता जब, दिल में पनपता है ,
मायने नहीं रखती कोई दूरी .
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संदेसे ......रुसवाइयों के डर से !
ले जाती है .....किरण छुपकर !
ज़मीं को नाज़ है........... बेहद ,
अपने........... नीले आसमां पर .
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कभी .............चांदनी उढ़ाता है !
कभी .................धूप की चूनर !
देती दिल से दुआएं फ़िर ,
आसमां को ,ज़मी ख़ुश होकर !
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कह दो ............ज़माने की ,
उट्ठी हुई .......अँगुलियों से !
दोनों के ....दरमियाँ रिश्ता,
सचमुच ,निहायत पावन है .
सुबूत ........ये मौसम है !
और ये .........नज़ारे हैं !
रिमझिम .......बरसकर !
गवाही देता ......सावन है !
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ये रिश्ता , बेहद पावन है !
ये रिश्ता, बेहद पावन है !
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___________ डॉ. प्रतिभा स्वाति
Very very beautiful ji.
ReplyDeleteshukriya :)
DeleteBhut sunder likti hai ji.
ReplyDeleteखूब लिखा है आपने ।मन प्रस्सन हो गया पढ़ कर ।साधुवाद।
ReplyDeleteaabhar :)
Deletethnx :)
ReplyDeleteबहुत सुन्दर और भावपूर्ण...
ReplyDeletethnx sr
Deleteआभार :)
ReplyDeleteMun mohak taal me bhaavo ki rachna, Zamin apne priyatum asman ko poori samarpit . Dono ki parsannta hi prakrti ke rath ko kheenchti hai. Sowaty ji ati sunder kavye , aur chit mohuk animated MUN ki chhavi---phoolo ki pari Dr. Pratibha Sowaty .
ReplyDeletethnx sir
Deleteवाह बेहतरीन रचना प्रतिभा जी
ReplyDeleteshukriya :)
Deleteaabhar
ReplyDeleteबहुत ही सुदर शब्दों से गूंथा है प्रेम के माहोल को ...
ReplyDeletethnx sir / :)
Deleteवाह जी वाह क्या सुंदर रचना लिखी है आपको धन्यवाद..
ReplyDeleteमेर ब्लॉग पर आप सभी लोगो का हार्दिक स्वागत है
thnx / :)
Deleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDeletethnx :)
DeleteKash hum humoumar hotye
ReplyDeletewlcm mukta ji :)
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