_______________________________________
लुटाती रही !
ममता अनमोल !
मुस्काती रही !
__________________ _ ______
कितना कुछ शेष है अभी लिखने के लिए ......वक्त रुकता ,ठहरता ही नहीं , और मैं ये जानते हुए कि वो नहीं सुनेगा , उसे पुकारती हूँ ! मेरी अवाज़ उस निष्ठुर से टकराकर ,लौट आती है ....फ़िर मुझ तक..अब इस आवाज़ का मैं क्या करूँ ...मै फ़िर पूरी ताक़त से उसे उसी दिशा में धकेल देती हूँ .......और मुस्कुराकर इंतज़ार करती हूँ , उसके फ़िर से लौटने का :)
___________ डॉ. प्रतिभा स्वाति
Very very beautiful word ji.
ReplyDeleteMom jaisa koi nahi hota.
Bhut pyaara likti hai .
ReplyDeleteGood bless you.
thnx dinesh ji
ReplyDeleteMaa ek shabd , matr shabd magar iss me samaya he ek poora sansar .Maa -jub antermun se ati awaz, tou lagta he ki rar dukh se mil gayi nizat ...
ReplyDeletesorry typing error-----rar dukh ko padiye har dukh ..
ReplyDeleteits ok sir / ye hota h , u dont wry / thnx :)
ReplyDeleteNice post
ReplyDeleteThnx :)
Delete