Wednesday, 4 February 2015

my 2nd blog

DR. PRATIBHA SOWATY: choka + ( चोका इस link पर )





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लुटाती रही !

ममता अनमोल !

मुस्काती रही !

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                  कितना कुछ शेष है अभी लिखने के लिए ......वक्त रुकता ,ठहरता ही नहीं , और मैं ये जानते हुए कि वो नहीं सुनेगा , उसे पुकारती हूँ ! मेरी अवाज़ उस निष्ठुर से टकराकर ,लौट आती है ....फ़िर मुझ तक..अब इस आवाज़ का मैं क्या करूँ ...मै फ़िर पूरी ताक़त से उसे उसी दिशा में धकेल देती हूँ .......और मुस्कुराकर इंतज़ार करती हूँ , उसके फ़िर से लौटने का :) 
___________ डॉ. प्रतिभा स्वाति


8 comments:

  1. Very very beautiful word ji.
    Mom jaisa koi nahi hota.

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  2. Bhut pyaara likti hai .
    Good bless you.

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  3. Maa ek shabd , matr shabd magar iss me samaya he ek poora sansar .Maa -jub antermun se ati awaz, tou lagta he ki rar dukh se mil gayi nizat ...

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  4. sorry typing error-----rar dukh ko padiye har dukh ..

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  5. its ok sir / ye hota h , u dont wry / thnx :)

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