वो मौसम है .... मेरे दिल का टुकड़ा ही , मुझको छलता है ! जैसे कोई मौसम है , जो रोज़ बदलता है ! इक गुनाह माफ़ करती हूँ , आ...
______________________________________________________________" मैंने लिखे हैं , तमाम _ हाइकू /हाईगा /तांका / चोका /सेदोका /सॉनेट और कविताएँ :)"_____ डॉ. प्रतिभा स्वाति" __________________________________ ______________
koi ya kutch bhi aro- adab nhi hai , majhab ke naam por rajneeti kerne me .Sunder abhivyakti
thnx sir
इंसान ही बेवजह बैर पालता है। जबकि मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना
सही कहा आपने कविता जी
बहुत सुन्दर शव्दों से सजी है आपकी कविता ,उम्दा पंक्तियाँ ..
आभार :)
koi ya kutch bhi aro- adab nhi hai , majhab ke naam por rajneeti kerne me .Sunder abhivyakti
ReplyDeletethnx sir
ReplyDeleteइंसान ही बेवजह बैर पालता है। जबकि
ReplyDeleteमजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना
सही कहा आपने कविता जी
ReplyDeleteबहुत सुन्दर शव्दों से सजी है आपकी कविता ,उम्दा पंक्तियाँ ..
ReplyDeleteआभार :)
Delete