Monday, 7 September 2015

मज़हबी खाइयों को .... ख़ानदानी मत कहेंI


6 comments:

  1. koi ya kutch bhi aro- adab nhi hai , majhab ke naam por rajneeti kerne me .Sunder abhivyakti

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  2. इंसान ही बेवजह बैर पालता है। जबकि
    मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना

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  3. सही कहा आपने कविता जी

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  4. बहुत सुन्दर शव्दों से सजी है आपकी कविता ,उम्दा पंक्तियाँ ..

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