Wednesday, 14 May 2014

रात की रानी ....



 सुनती  नहीं !
वो महकती रही !
कहती रही !

धुली चांदनी रातें !
सुनके बातें !

कहती क्या आखिर !
मिलके फिर !

राज़ कुछ गहरे !
स्याह पहरे !

इशारों - इशारों में !
सुनें तारों ने !

कहने को कह गई !
चाह थी रह गई !
----------------------- चोका : डॉ . प्रतिभा स्वाति

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