Friday, 29 March 2013

बाल -साहित्य





3 comments:

  1. चित्र के भाव से मिलती सुन्दर हाइकु
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  2. धूरि भरे अति शोभित श्याम जू, तैसी बनी सिर सुन्दर चोटी।
    खेलत खात फिरैं अँगना, पग पैंजनिया कटि पीरी कछौटी।।
    वा छवि को रसखान विलोकत, वारत काम कलानिधि कोटी
    काग के भाग कहा कहिए हरि हाथ सों ले गयो माखन रोटी।।

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