______________________________________________________________" मैंने लिखे हैं , तमाम _ हाइकू /हाईगा /तांका / चोका /सेदोका /सॉनेट और कविताएँ :)"_____ डॉ. प्रतिभा स्वाति" __________________________________ ______________
Tuesday, 6 August 2013
प्राण
चोका : प्राण -------------------- अंधियारों में , रौशनी की तरह , आती हैं यादें ! सुने से आकाश में , उड़ता हुआ , मनचला परिंदा ! थकता नही , क्यूंकि प्राण अमर है ! ये तन ,तो घर है ! ------------------------------------------ डॉ . प्रतिभा स्वाति
o manchali kaha chali.........
ReplyDeleteअमिनातिओं बोलते नहीं / j d
DeleteBahot sundar""""".......:)
ReplyDeletethnx sona
Deleteबहुत लाजवाब ... पहला और अंतिम हाइकू तो कमाल का है ... स्पष्ट, छोटा और सार्थक ...
ReplyDeletetahedil se shukriya digamber sr
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