Saturday, 14 September 2013

ज़मी ने कहा


  ज़मी ने कहा ----
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पहले ज़मी थमके ,
मेरी राह तकती थी !
मैं लौट आती थी ,
उसी जगा !
.पर अब ,
सतत ,ज़ारी है ,
सफ़र मेरा !
मुझे लौटना नहीं !
चूमकर भाल मेरा ,
उसदिन कहा उसने ,
-महफूज़ हो सदा
अब ,आजकल ,
तुमपर!!
आसमां निगाह रखता है !!
--------------------------------------------- डॉ. प्रतिभा स्वाति



2 comments:

  1. आसमां निगाह जितना भी रक्खे .. जमी देखती है दूर से अपनी दुआओं के साथ ...

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    1. zami dekhti h dur se ,
      apni duao' k sah -----------wah /sr

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