कहता रहा !
सब जीवन भर !
सहता रहा !
**************हाइकू : डॉ . प्रतिभा स्वाति *****
****************************************
ये हाइकू है ! जी हाँ , 100 % हाइकू ही है !
पर दिल है कि मानता नही ! क्यूंकि हाइकू तो एक खेल
है ! बच्चों का खेल ! अब उसे जापान के बच्चे खेलें ,
या भारत के . या फिर विश्व के किसी भी देश के !
अब तीन तथ्य सामने आते हैं -----
1. हाइकू
2. खेल
3. बच्चे !
एक चौथा तथ्य भी है स्थान या देश ! पर चूँकि मै हाइकू को भारत ही के परिप्रेक्ष्य में विवेचित करना
चाह रही हूँ ! इसलिए हम 3 मुद्दों पर चर्चा कर सकते है !
पर ,तीसरा मुद्दा अर्थात ' बच्चो ' को हमे हाइकू से हटाना होगा , क्यूंकि भारत में बच्चे हाइकू नहीं खेलते ! ..... तो फिर क्या हाइकू ' खेल ' नहीं रहा ?
यदि ऐसा है , तो फिर हम बड़ों को ,
एक बार फिर से, ' हाइकू ' के बारे में विचार करना होगा ! इसकी शुरुआत 17 वीं शताब्दी में जापान ने जिस तरह की , आज उसका निर्वाह कर रहा है ! अर्थात वहाँ
का बच्चा आज भी खेलता है हाइकू ! और बड़े रच रहे है ' चोका ' ! समाज के लिये साहित्य का स्रजन , ऐसे
ही तो होता है ! एक अनुशासन के साथ ! दायित्व बोध
के साथ !
हम ' उस देश से 1919 में ले तो आए 'हाइकू ' पर उसे खेल नही बना पाए ! बच्चो के बीच ले जाना तो बड़े दूर की बात है ! जब हम बड़े न उसे खेल पाए ! न रच पाए ! न समझ पाए ! ये आरोप नही ! दम्भ नही ! न
उलाहना है . ये पीड़ा है ! किसी विधा को आत्मीयता से
आत्मसात करने ज़ुरूरत है , वरना वो अज़नबी ही बनी रहेगी ! हर दसवाँ लेखक पूछता रहेगा .
.
.
हाइकू क्या है ?
.................................. और हम google से जानकारी
चेपकर जवाब देते रहेंगे ? आज इतना ही !
thnx
डॉ . प्रतिभा स्वाति
सब जीवन भर !
सहता रहा !
**************हाइकू : डॉ . प्रतिभा स्वाति *****
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ये हाइकू है ! जी हाँ , 100 % हाइकू ही है !
पर दिल है कि मानता नही ! क्यूंकि हाइकू तो एक खेल
है ! बच्चों का खेल ! अब उसे जापान के बच्चे खेलें ,
या भारत के . या फिर विश्व के किसी भी देश के !
अब तीन तथ्य सामने आते हैं -----
1. हाइकू
2. खेल
3. बच्चे !
एक चौथा तथ्य भी है स्थान या देश ! पर चूँकि मै हाइकू को भारत ही के परिप्रेक्ष्य में विवेचित करना
चाह रही हूँ ! इसलिए हम 3 मुद्दों पर चर्चा कर सकते है !
पर ,तीसरा मुद्दा अर्थात ' बच्चो ' को हमे हाइकू से हटाना होगा , क्यूंकि भारत में बच्चे हाइकू नहीं खेलते ! ..... तो फिर क्या हाइकू ' खेल ' नहीं रहा ?
यदि ऐसा है , तो फिर हम बड़ों को ,
एक बार फिर से, ' हाइकू ' के बारे में विचार करना होगा ! इसकी शुरुआत 17 वीं शताब्दी में जापान ने जिस तरह की , आज उसका निर्वाह कर रहा है ! अर्थात वहाँ
का बच्चा आज भी खेलता है हाइकू ! और बड़े रच रहे है ' चोका ' ! समाज के लिये साहित्य का स्रजन , ऐसे
ही तो होता है ! एक अनुशासन के साथ ! दायित्व बोध
के साथ !
हम ' उस देश से 1919 में ले तो आए 'हाइकू ' पर उसे खेल नही बना पाए ! बच्चो के बीच ले जाना तो बड़े दूर की बात है ! जब हम बड़े न उसे खेल पाए ! न रच पाए ! न समझ पाए ! ये आरोप नही ! दम्भ नही ! न
उलाहना है . ये पीड़ा है ! किसी विधा को आत्मीयता से
आत्मसात करने ज़ुरूरत है , वरना वो अज़नबी ही बनी रहेगी ! हर दसवाँ लेखक पूछता रहेगा .
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हाइकू क्या है ?
.................................. और हम google से जानकारी
चेपकर जवाब देते रहेंगे ? आज इतना ही !
thnx
डॉ . प्रतिभा स्वाति
बहुत बढ़िया प्रतिभा जी , हाइकू के विषय पे मुझे भी जानकारी नहीं थीं , जो कि आज थोड़ी बहुत पूरी हो गयी , बढ़िया चर्चा , धन्यवाद
ReplyDeleteएक सूत्र आपके लिए --: श्री राम तेरे कितने रूप , लेकिन ?
" जै श्री हरि: "
thnx aashish bhai / :)
ReplyDeletethnx
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