______________________________________________________________" मैंने लिखे हैं , तमाम _ हाइकू /हाईगा /तांका / चोका /सेदोका /सॉनेट और कविताएँ :)"_____ डॉ. प्रतिभा स्वाति" __________________________________ ______________
Wednesday, 26 March 2014
पंछी
%%%%%%%%%%%%%%%%%%% पंछी / उड़ना जानता है :) रोज़ नापता / छूता फ़लक है ! नीड़ / अम्बर में नहीं बनाता , ये ज़मी से जुड़ने की ललक है :) --------------------------------------- डॉ. प्रतिभा स्वाति %%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%
वाह...बहुत सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति...
ReplyDeletethnx sr
Deleteवाह बहुत सुंदर
ReplyDeleteपर कभी कभी
छोड़ कर भी
जाना पड़ता है
नीड़ को भी
अम्बर को नहीं
उससे भी और
ऊपर कहीं
नीड़ की तलाश में :)
rt / sr
Deleteआदरणीय , बहुत बढ़िया कृति , पंछी छोड़ के जाये हि क्यों , नमक जो ज़मी का खाया है , मेरा मतलब जो इतना प्रेम मिला , तो वो आसमान क्या देगा , जिसे देखने के लिये , हमें ऊपर की ओर देखना पड़ता है | धन्यवाद !
ReplyDeleteInformation and solutions in Hindi ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
:)
Deleteआभार
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