______________________________________________________________" मैंने लिखे हैं , तमाम _ हाइकू /हाईगा /तांका / चोका /सेदोका /सॉनेट और कविताएँ :)"_____ डॉ. प्रतिभा स्वाति" __________________________________ ______________
Friday, 6 November 2015
भद्रासन
योग में ध्यानात्मक आसनों की अहमियत ,अपेक्षाकृत अधिक है ---- पद्मासन को उच्च तथा वज्रासन , भद्रासन को मध्यम , स्वस्तिक आसन या अन्य सुखासनों को निम्न स्थान दिया गया है :)
आप चाहकर भी आप बातों को याद नहीं रख पाते। यदि आपके साथ भी यह समस्या है तो रोजाना कुछ समय अपनी भागदौड़ भरी दिनचर्या में से थोड़ा वक्त निकालकर भद्रासन करें। कमजोर याददाश्त की समस्या धीरे-धीरे खत्म हो जाएगी।
भद्रासन
भद्रासन एक ध्यानात्मक आसन है. इसके नियमित अभ्यास से एकाग्रता बढ़ती है | भद्रासन करने के लिए वज्रासन का अभ्यास होना भी ज़रूरी है| एकाग्रता का संबंध हमारी आँखों से भी है इसलिए आँखों के स्वास्थ्य को बरक़रार रखने के लिए आप नेत्र शक्ति विकासक क्रिया का भी अभ्यास कर सकते हैं वज्रासन में बैठ जाएँ और दोनों हाथ घुटनों पर रखें| वज्रासन में जब बैठते हैं तब घुटने मिले रहते हैं, एड़ियों में अंतर रहता है और दोनों एड़ियों के बीच में बैठते हैं|
भद्रासन के लिए नीचे दरी या चटाई बिछाकर उस पर घुटनों के बल खड़े हो जाएं। अब अपने दाएं पैर को घुटने से मोड़कर पीछे की ओर ले जाकर नितम्ब (हिप्स) के नीचे रखें। फिर बाएं पैर को भी घुटने से मोड़कर पीछे की ओर ले जाकर नितम्ब (हिप्प) के नीचे रखें। घुटनों को आपस में मिलाकर जमीन से सटाकर रखें तथा पंजे को नीचे व एड़ियों को ऊपर नितम्ब से सटाकर रखें। अब अपने पूरे शरीर का भार पंजे व एड़ियों पर डालकर बैठ जाएं। इसके बाद अपने दाएं हाथ से बाएं पैर के अंगूठे को पकड़ें तथा बाएं हाथ से दाएं पैर का अंगूठा पकड़ लें। अब जालन्धर बंध लगाएं अर्थात सांस को अंदर खींच कर सिर को आगे झुकाकर कंठ मूल से सटाकर रखें और कंधे को ऊपर खींचते हुए आगे की ओर करें। अब नाक के अगले भाग को देखते हुए भद्रासन का अभ्यास करें। इस सामान्य स्थिति में जब तक रहना सम्भव हो रहें और फिर जालन्धर बंध हटाकर सिर को ऊपर करके सांस बाहर छोड़ें। पुन: सांस को अंदर खींचकर जालन्धर बंध लगाएं और भद्रासन का अभ्यास करें।
इस आसन में आंखों की दोनों भौहों के बीच ध्यान लगाया जाता है, जिससे मन को स्थिर रखने में व मानसिक तनाव से मुक्ति मिलती है।
आसन के अभ्यास से रोगों में लाभ
मन की एकाग्रता (मन को स्थिरता) के लिए यह आसन अधिक लाभकारी है, क्योंकि इसमें नाक के अगले भाग पर दृष्टि जमाने से मन एकाग्र (स्थिर) होता है। इससे शारीरिक स्वास्थ्य बना रहता है। इस आसन को करने से भूख बढ़ती है। फेफड़ों के लिए भी यह आसन लाभकारी होता है। इससे पेल्विक भाग व घुटनों की नसें फैलती हैं और शक्तिशाली बनती हैं। इसमें जांघों, घुटनों एवं पिण्डलियों को असीम बल मिलता है।
आप चाहकर भी आप बातों को याद नहीं रख पाते। यदि आपके साथ भी यह समस्या है तो रोजाना कुछ समय अपनी भागदौड़ भरी दिनचर्या में से थोड़ा वक्त निकालकर भद्रासन करें। कमजोर याददाश्त की समस्या धीरे-धीरे खत्म हो जाएगी।
ReplyDeleteभद्रासन
भद्रासन एक ध्यानात्मक आसन है. इसके नियमित अभ्यास से एकाग्रता बढ़ती है | भद्रासन करने के लिए वज्रासन का अभ्यास होना भी ज़रूरी है| एकाग्रता का संबंध हमारी आँखों से भी है इसलिए आँखों के स्वास्थ्य को बरक़रार रखने के लिए आप नेत्र शक्ति विकासक क्रिया का भी अभ्यास कर सकते हैं वज्रासन में बैठ जाएँ और दोनों हाथ घुटनों पर रखें| वज्रासन में जब बैठते हैं तब घुटने मिले रहते हैं, एड़ियों में अंतर रहता है और दोनों एड़ियों के बीच में बैठते हैं|
भद्रासन की विधि
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भद्रासन के लिए नीचे दरी या चटाई बिछाकर उस पर घुटनों के बल खड़े हो जाएं। अब अपने दाएं पैर को घुटने से मोड़कर पीछे की ओर ले जाकर नितम्ब (हिप्स) के नीचे रखें। फिर बाएं पैर को भी घुटने से मोड़कर पीछे की ओर ले जाकर नितम्ब (हिप्प) के नीचे रखें। घुटनों को आपस में मिलाकर जमीन से सटाकर रखें तथा पंजे को नीचे व एड़ियों को ऊपर नितम्ब से सटाकर रखें। अब अपने पूरे शरीर का भार पंजे व एड़ियों पर डालकर बैठ जाएं। इसके बाद अपने दाएं हाथ से बाएं पैर के अंगूठे को पकड़ें तथा बाएं हाथ से दाएं पैर का अंगूठा पकड़ लें। अब जालन्धर बंध लगाएं अर्थात सांस को अंदर खींच कर सिर को आगे झुकाकर कंठ मूल से सटाकर रखें और कंधे को ऊपर खींचते हुए आगे की ओर करें। अब नाक के अगले भाग को देखते हुए भद्रासन का अभ्यास करें। इस सामान्य स्थिति में जब तक रहना सम्भव हो रहें और फिर जालन्धर बंध हटाकर सिर को ऊपर करके सांस बाहर छोड़ें। पुन: सांस को अंदर खींचकर जालन्धर बंध लगाएं और भद्रासन का अभ्यास करें।
ध्यान
ReplyDeleteइस आसन में आंखों की दोनों भौहों के बीच ध्यान लगाया जाता है, जिससे मन को स्थिर रखने में व मानसिक तनाव से मुक्ति मिलती है।
आसन के अभ्यास से रोगों में लाभ
मन की एकाग्रता (मन को स्थिरता) के लिए यह आसन अधिक लाभकारी है, क्योंकि इसमें नाक के अगले भाग पर दृष्टि जमाने से मन एकाग्र (स्थिर) होता है। इससे शारीरिक स्वास्थ्य बना रहता है। इस आसन को करने से भूख बढ़ती है। फेफड़ों के लिए भी यह आसन लाभकारी होता है। इससे पेल्विक भाग व घुटनों की नसें फैलती हैं और शक्तिशाली बनती हैं। इसमें जांघों, घुटनों एवं पिण्डलियों को असीम बल मिलता है।
Aabhar, gyanwan vishleshan .
ReplyDeleteji / sir
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