बहा काजल,
कुछ यादें हैं तेरी,
रातें अँधेरी!
उजाले भुलाते हैं ?
नहीं आते हैं !
दिन में स्वप्न कोई !
मनभावन !
कुछ रिश्ते सुहाने ,
मुझे बुलाने,
चले रोज़ आते हैं !
पर प्रीत के दीप,
नैन या सीप !
क्यूँ मोती बहाते हैं
वोही याद आते हैं !
------------------------------- इतनी रात को , इतने दिन बाद ,मन मचल रहा था लिखने के लिए या धिक्कार रहा था, न लिखने के लिए ! सोचा हाइकू लिखकर ख़ुद को फ़ुसला दूँ , फ़िर चोका लिखने का मन हुआ , पर अब मैं तैयार नहीं अक्षर और लाइंस गिनने के लिए :) मैं आई थी ईट जमाने , फ़िर दीवार चुनने बैठ गई , अब ये ख्वाहिश तो बेमानी होगी की मै मीनार बनाकर ही जाऊं :)
कुछ यादें हैं तेरी,
रातें अँधेरी!
उजाले भुलाते हैं ?
नहीं आते हैं !
दिन में स्वप्न कोई !
मनभावन !
कुछ रिश्ते सुहाने ,
मुझे बुलाने,
चले रोज़ आते हैं !
पर प्रीत के दीप,
नैन या सीप !
क्यूँ मोती बहाते हैं
वोही याद आते हैं !
------------------------------- इतनी रात को , इतने दिन बाद ,मन मचल रहा था लिखने के लिए या धिक्कार रहा था, न लिखने के लिए ! सोचा हाइकू लिखकर ख़ुद को फ़ुसला दूँ , फ़िर चोका लिखने का मन हुआ , पर अब मैं तैयार नहीं अक्षर और लाइंस गिनने के लिए :) मैं आई थी ईट जमाने , फ़िर दीवार चुनने बैठ गई , अब ये ख्वाहिश तो बेमानी होगी की मै मीनार बनाकर ही जाऊं :)
Lajwab .. Aap ka hridye tou kavye ka dariya hai, Bhavnao ko matkana hi achha he .. Poora din thik hi beeta hoga Pratibha ji.. SHUBH RATRI , Shesh sapne neend me le lijiye
ReplyDeleteआभार :)
ReplyDeleteप्रीत के दीप ,
ReplyDeleteनयन या सीप!
मोती बहाते हैं ,
वो याद आते हैं !
-------------------- डॉ . प्रतिभा स्वाति