DR. PRATIBHA SOWATY: ख़ुशी / अब यहाँ नही रहती: " मेरे घर का सामान बनके !
' मत पूछिये सबब , मेरे यूँ /
आज मुस्कुराने का !
किसी कोयल से ,
गीत गाने का !
पतझड़ में , उस सूखी टहनी पे ,
फूल के खिल जाने का !.....'
उम्दा हाइकू ... और मत पूछिए सबब ... बहुत लाजवाब ...
ReplyDeletesr ye link share ki h / mere dusre blog par puri kavita h :)
Deleteबहुत बढ़िया लेखन , व प्रयास , आदरणीया धन्यवाद
ReplyDelete॥ जै श्री हरि: ॥
thnx आशीष भाई
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