Tuesday, 31 May 2016

माँ / अस्वीकार क्या कहूँ ....





 करता है ज़ुर्म छुपकर ,
गुनहगार क्या  कहूँ !
सुबूत के अभाव में सच
जाता है हार क्या कहूँ !

मोल नहीं ममता का ,
दिल के उद्गार क्या कहूँ !
पालन-पोषण-परवरिश,
 है सब बेकार क्या कहूँ !

न गिले न रखीं शिकायतें ,
बातें दो -चार क्या  कहूँ !
नफ़रत मैं लाऊं कहाँ से ,
दामन् में प्यार क्या कहूँ !

करती हूँ रोज़ ही ख़ुदा से ,
अर्ज़/मनुहार क्या  कहूँ !
कानोकान खबर नहीं है ,
न जाने संसार क्या कहूँ !

मैं मुआफ़ किये जाती हूँ ,
बहुत  बेज़ार क्या  कहूँ !
जीती हुई बाज़ी ख़ुद ही ,
जाती हूँ हार क्या कहूँ !

क्यूँ दोष है बेटों के सर ,
मढ़ते हरबार  क्या  कहूँ !
बेटी मिले बाप से  कहे ,
माँ अस्वीकार क्या कहूँ!
___________________ डॉ. प्रतिभा स्वाति




(सन्दर्भ)


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