Friday, 21 February 2014

प्रभु


 प्रभु  का नाम !
श्याम / घनश्याम !
मुरली - मनोहर !
या सियाराम !
नारायण / या फिर 
शिव - शंकर !

जितने रूप ,
उतने नाम !
हम सब ने ही ,
रचा विधान !

फिर / असमंजस क्यूँ ?
 ये समाज  बेबस क्यूँ ?

ये / माया प्रभु  की है !
जाल  हमने  रचा  है !
हम नही होते मौन ,
जबकि, कहने - सुनने को
अब   कुछ नही बचा  है !

वेद / उपनिषद / पुराण 
पन्नो में / फड़फड़ाते  हैं !
रे मन / ध्यान से देख ,
लाख / रखे नाम तूने ,
वो एक से मुस्कुराते है !
प्रभु / प्रभु ही कहाते हैं !
----------------------------- डॉ . प्रतिभा स्वाति

Wednesday, 12 February 2014

3 / पोस्ट

            आज  आम इंसान बड़ी जल्दी में है ! उसे फ़ुर्सत कम है ! हर व्यक्ति अपने बारे में फिक्रमंद है ! दूसरों से बेपरवाह !
                वक्त की कमी है या वक्त की ज़ुरूरत , जो भी हो ! लंबी कविताएँ डायरी में मुस्कुराती हैं ! मै उन्हें समझाती हूँ , कि वक्त आने पर ज़ुरुर ब्लॉग पर दूंगी ! किसी अख़बार या मैगज़ीन में भी ! हो सका तो काव्य- संग्रह ही प्रकाशित करवा दूंगी :)
                   और फिर उस रचना से 2 लाईन निकालकर , उसे किसी चित्र के साथ आम पाठक तक पहुंचा देती हूँ ! अपने पेज और अपने group के माध्यम से !----------- पाठक भी ख़ुश / और मै भी !


    













Monday, 10 February 2014

मन ...


     
                  मुझे गीता के छठे अध्याय का वो आधा श्लोक  भुलाए  नहीं  भूलता --------

' चंचलं हि मन : क्रष्ण ......वायोरिव  च दुश्क्रताम ..

.                                    
 फिर  भी मैने ये लिख डाला :)



Monday, 3 February 2014

हाइकू के बारे में ....



हाइकू ---------
              जिस तरह हिन्दी में / काव्य को व्याकरण की धार पर परिष्कृत किया गया ! उसी तरह आम आदमी की समझ के लिए सरलतम शब्दों में हाइकू को परिभाषा देने के लिए ह्म कह सकते है कि ------(इसमें आधे अक्षर को गिनती में शामिल नहीं किया जाता है )

                         "हाइकु कविता को भारत में लाने का श्रेय कविवर रवींद्र नाथ ठाकुर को जाता है।
"भारतीय भाषाओं में रवींद्रनाथ ठाकुर ने जापान-यात्रा से लौटने के पश्चात १९१९ में 'जापानी-यात्री' में हाइकु की चर्चा करते हुए बंगला में दो कविताओं के अनुवाद प्रस्तुत किए·---------

1------ यह जापान में विकसित विधा है .
2-------इसमें 17 अक्षर होते है
3------ इनका क्रम 5-7-5 होता है
4------यदि इसके साथ चित्र भी हो , तब इसे ' हाईगा ' कहा जाता है .
5--------इसकी हर लाइन पूर्ण हो / आपस में सम्बद्ध /सार्थक हो
-------------------------------------------- आज इतना ही / शेष फिर
----------------------------------------------------------------------------------------------------------------- डॉ. प्रतिभा 'स्वाति '



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