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खिलता है यूँ नागफनी...
वो मौसम है .... मेरे दिल का टुकड़ा ही , मुझको छलता है ! जैसे कोई मौसम है , जो रोज़ बदलता है ! इक गुनाह माफ़ करती हूँ , आ...
मेरी 7 कविताएँ u tube पर
- my vdo (19)
Monday 16 February 2015
Sunday 15 February 2015
ख़ामियां ... होने दो ज़ाहिर
एक लम्बी -सी कविता .....जो हो रही पूरी / यूँ ही किश्तों में :)
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DR. PRATIBHA SOWATY: ख़ामियां ... होने दो ज़ाहिर: ( link )
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बुराई / नहीं है
बुरी उतनी !
उसे / होने दो
ज़ाहिर !
वो / ख़ुद
तलाश लेगी
रास्ते
समायोजन के !
सुखद ,...
आयोजन के :)
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मिली बुराई !
भलमनसाहत !
हुई आहत !
____________________________ हाइकू : डॉ. प्रतिभा स्वाति
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DR. PRATIBHA SOWATY: ख़ामियां ... होने दो ज़ाहिर: ( link )
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बुराई / नहीं है
बुरी उतनी !
उसे / होने दो
ज़ाहिर !
वो / ख़ुद
तलाश लेगी
रास्ते
समायोजन के !
सुखद ,...
आयोजन के :)
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मिली बुराई !
भलमनसाहत !
हुई आहत !
____________________________ हाइकू : डॉ. प्रतिभा स्वाति
Wednesday 4 February 2015
my 2nd blog
DR. PRATIBHA SOWATY: choka + ( चोका इस link पर )
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लुटाती रही !
ममता अनमोल !
मुस्काती रही !
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लुटाती रही !
ममता अनमोल !
मुस्काती रही !
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कितना कुछ शेष है अभी लिखने के लिए ......वक्त रुकता ,ठहरता ही नहीं , और मैं ये जानते हुए कि वो नहीं सुनेगा , उसे पुकारती हूँ ! मेरी अवाज़ उस निष्ठुर से टकराकर ,लौट आती है ....फ़िर मुझ तक..अब इस आवाज़ का मैं क्या करूँ ...मै फ़िर पूरी ताक़त से उसे उसी दिशा में धकेल देती हूँ .......और मुस्कुराकर इंतज़ार करती हूँ , उसके फ़िर से लौटने का :)
___________ डॉ. प्रतिभा स्वाति
Monday 2 February 2015
तुम आसमां...मैं ज़मीं हूँ शायद !
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ये बात और है......... कि वो दोनों ,
क्षितिज़ पर..... ज़रा देर को ठहरे !
नहीँ दोनों में, कोई गिला-शिकवा,
दिखें इन्द्रधनुष औ ख़्वाब सुनहरे !
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ज़मी को है.........गिला ख़ुद से !
आसमां को .. कुछ दे नहीं पाती !
हर मौसम से की हैं..... मनुहारें ,
कोई तो पहुंचाए ,प्रेम की पाती !
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पर आसमां ...सब समझता है !
है दोनों ही की ..........मज़बूरी !
रिश्ता जब, दिल में पनपता है ,
मायने नहीं रखती कोई दूरी .
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संदेसे ......रुसवाइयों के डर से !
ले जाती है .....किरण छुपकर !
ज़मीं को नाज़ है........... बेहद ,
अपने........... नीले आसमां पर .
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कभी .............चांदनी उढ़ाता है !
कभी .................धूप की चूनर !
देती दिल से दुआएं फ़िर ,
आसमां को ,ज़मी ख़ुश होकर !
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कह दो ............ज़माने की ,
उट्ठी हुई .......अँगुलियों से !
दोनों के ....दरमियाँ रिश्ता,
सचमुच ,निहायत पावन है .
सुबूत ........ये मौसम है !
और ये .........नज़ारे हैं !
रिमझिम .......बरसकर !
गवाही देता ......सावन है !
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ये रिश्ता , बेहद पावन है !
ये रिश्ता, बेहद पावन है !
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___________ डॉ. प्रतिभा स्वाति
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