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खिलता है यूँ नागफनी...
वो मौसम है .... मेरे दिल का टुकड़ा ही , मुझको छलता है ! जैसे कोई मौसम है , जो रोज़ बदलता है ! इक गुनाह माफ़ करती हूँ , आ...
मेरी 7 कविताएँ u tube पर
- my vdo (19)
Saturday, 27 February 2016
Sunday, 21 February 2016
Friday, 19 February 2016
यमाताराजभानसलगा
______________________ याद आया कुछ ? कक्षा ६ , विषय हिंदी , व्याकरण की किताब का छंद वाला पाठ . तब भी कठिन था और अब भी कठिन है :)
----------- ' यमाताराजभानसलगा ' ये आठ गण याद करने का अचूक मन्त्र / मुझे याद है और इसी के दम पर न सिर्फ उन आठ गणों के नाम बल्कि उनमे जो लघु दीर्घ का क्रम है वो भी :) आपको बता दूँ की ३ मात्रा के समूह को 'गण' कहते हैं ! मात्रिक या वर्णिक छंद की रचना करनी हो तो , बिना गणना के काम नहीं चलता .
------------ इस सन्दर्भ में उपलब्ध जानकारी , इसी post के कमेंट्स में देती रहूंगी , आज इतना ही
____________________ डॉ. प्रतिभा स्वाति
Wednesday, 17 February 2016
Thursday, 11 February 2016
इंसान कम ही बचे हैं ...
_______________________
देकर
दो निवाले
दान में !
कुछ
पुण्य के
अरमान में !
चल पड़ा
इनसान यूँ !
पल रहा
अभिमान यूँ !
हाय / हम
देना
प्रकृति से
सीख लेते !
निरुपाय हम
कब तलक
इन्सान ही से
भीख लेते !
इक सदी से
चल रहा
रोना
गरीबी का सतत !
कौन / किसको
है मिटाता ?
पास किसके
इतना 'बखत ' !
चल रहा
जबसे धरा पर
अधिकार का
अभियान है !
इन्सान
कम ही बचे हैं
गरीबों की नसल
बचे धनवान हैं !
देना महज
पाप धोने के लिए है !
लेना /सतत
और लेने के लिए है !
हे प्रभु ,
संसार में बस
दो ही रिश्ते बचे हैं !
क्या ये इंसान
सचमुच
तुमने ही रचे हैं ?
_______________________ डॉ. प्रतिभा स्वाति
Wednesday, 3 February 2016
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