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बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय द्वारा संस्कृत बाँग्ला मिश्रित भाषा में रचित इस गीत का प्रकाशन सन् १८८२ में उनके उपन्यास आनन्द मठ में अन्तर्निहित गीत के रूप में हुआ था। इस उपन्यास में यह गीत भवानन्द नाम के सन्यासी द्वारा गाया गया है। इसकी धुन यदुनाथ भट्टाचार्य ने बनायी थी।
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इसे कॉपी -पेस्ट करने का मक़सद / देश की नई
नस्ल को उस अतीत से वाकिफ करवाना है , जिसकी
बदौलत आज हमारा सर , गर्वोन्नत है !
---------------------------------- जयहिंद !
----------------------- प्रस्तुति : डॉ. प्रतिभा स्वाति