Tuesday, 24 September 2013

सूरज

            ' सूरज'
ये सुरमयी साँझ का पर्दा ! करता भी ,तो क्या आख़िर ? उसे लगा लाज़िमी इतना , डूब जाना ही , बेहतर है ! -----------डॉ. प्रतिभा स्वाति

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