ख़ुदा का घर !
मंदिर न मस्ज़िद !
इंसा की ज़िद !
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कुछ ख़्वाब थे !
आँखों में सितारे थे !
माहताब थे !
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राम सा मन !
हो रावण दहन !
सुख का क्षण !
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हार या जीत !
मुकाबिला ज़ुरूरी ?
बदलें रीत !
रावण पराजय !
यही आशय ?
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मन न माने !
अभी छल है जिन्दा !
सच शर्मिंदा !
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ये जो हाइकू हैं ---------
इनका आपस में कोई तालमेल नही !यदि रचना बड़ी हो , भाव हाइकू में न समा रहे हों / तब टंका , सेदोका या चोका बनाया जाए तो उचित है !
बजाय इसके की हाइकू 'रेल ' बना दी जाए !
और हमारे यहाँ बड़े-2 अब तक हाइकू ही खेल रहे हैं !
बाद तमाम चौका देने वाले
तथ्य सामने आए हैं ! आख़िर क्यूँ एक विदेशी विधा को हमने अपनाया तो पर अजनबी बनाए रखा !
आज हर बीसवां पाठक ये
जानना चाहता है की ------- ------' हाइकू ' क्या है ?
ये शिकायत नही अपेक्षा है / आग्रह है / निवेदन है -------------जिसमे अकूत संभावना श्वास ले रही है !
wlcm
ReplyDeletenc infrmation
ReplyDeletenc
ReplyDeletethnx 2 all / :)
ReplyDeletebahut khub
ReplyDeleteu r rt
ReplyDeleteGod page
ReplyDeletethnx / aanand sr
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