Thursday, 26 December 2013

मैं ...


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  हम - तुम -वो !
कविता का विषय !
कुछ और हो !
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 मैं तो बूंद हूँ !
कभी सीप में मोती !
आँख में रोती !

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_________ कई बार पूरी कोशिश के बाद भी हम वो नहीं लिख पाते , जो चाहते हैं ! पर जो चाहते हैं उसे न लिखा हो ,ऐसा भी नहीं ! बस वक्त बदल जाता है :)

7 comments:

  1. बरसती भी है बूँद
    बिना बादल के भी
    आकाश की गोद से
    यूँ ही खुश हो के कभी !

    सुंदर है !

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    1. thnx sr / post se achcha / aapka comment h :)

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  2. खूबसूरत प्रस्तुति आ० बढ़िया , धन्यवाद
    ॥ जय श्री हरि: ॥

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    1. oh / net kam n karne se kavita baad me add kar dungi / aasheesh bhai

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    1. kisliye / sapna tum log koshish karo / kam ho hi jaenge

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