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हम - तुम -वो !
कविता का विषय !
कुछ और हो !
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मैं तो बूंद हूँ !
कभी सीप में मोती !
आँख में रोती !
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_________ कई बार पूरी कोशिश के बाद भी हम वो नहीं लिख पाते , जो चाहते हैं ! पर जो चाहते हैं उसे न लिखा हो ,ऐसा भी नहीं ! बस वक्त बदल जाता है :)
बरसती भी है बूँद
ReplyDeleteबिना बादल के भी
आकाश की गोद से
यूँ ही खुश हो के कभी !
सुंदर है !
thnx sr / post se achcha / aapka comment h :)
Deleteखूबसूरत प्रस्तुति आ० बढ़िया , धन्यवाद
ReplyDelete॥ जय श्री हरि: ॥
oh / net kam n karne se kavita baad me add kar dungi / aasheesh bhai
Deletesry
ReplyDeletekisliye / sapna tum log koshish karo / kam ho hi jaenge
Deletewah
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