Thursday 21 April 2016

'नाम' न होते तो ?

  

























3 comments:

  1. नाम ------------------
    सोच रही हूँ जब भाषा की इज़ाद हुई तब नाम रखे लिखे गए होगे . कहानी में पात्र कोई भी हो उसका नाम होता है . ये बात ज़िन्दगी पर भी लागू होती है . नाम से ही तो होती है पहचान . वस्तु तक के नाम होते हैं . पशु -पक्षी -पेड़ -पौधे सबके होते हैं नाम . राम - क्रष्ण - ब्रम्हा -विष्णु- महेश --- इन्सान से उपर ,ईश्वर तक के नाम हैं . हर मज़हब में , हर देश में . हर काल में .
    नाम बहुत जुरुरी हैं . गर नाम न होते तो ? सोचकर ही परेशान हूँ , इसलिए कहानी में iमाँ -बेटी का नाम रखा जाना चाहिए , पाठकों को बता देना चाहिए उन्हें हक़ है और ये फर्ज़ है writer का . इसलिए मैं भी कहानी में न सिर्फ़ नाम बल्कि तमाम फ़ोटो और प्रमाण-पत्र मौके के मुताबिक़ पेश करती रहूंगी .जब -जहाँ जिस चीज़ की दरकार होगी .
    जिससे कहानी के सच और लेखक की ईमानदारी पर किसी शक़ की गुंजाईश न रहे :)
    ___________________________________________________________________ डॉ . प्रतिभा स्वाति

    ReplyDelete
    Replies
    1. CHI MOHUK HRIDYE KI IMAANDARI KA PARMAANN .. Itni sanvedan sheel kiu ho, kisi ko aap ki abhivyakti por thoda sa bhi shaq nhi/ Umeed hai, shabd apne aap sahejta se goondhte chale jaye ge , SHUBH KAMNAO KE SATH, Dr Pratibja Swaty ji

      Delete