Thursday, 21 April 2016

बुन रही हूँ कहानी ...

DR. PRATIBHA SOWATY: एक थी माँ ...एक थी बेटी:



 ये कहानी है 1984 से 2016 तक की :)











3 comments:

  1. इस कहानी में न माँ का कोई नाम है न बेटी का . मेरा खयाल है इससे कहानी पर कोई विपरीत प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए ! पर प्रभावोत्पादकता में कमी आएगी ,आएगी ही . तो सोचती हूँ क्यूँ न नाम रख ही दूँ :)

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  3. --------- मेरी कहानी के पात्र काल्पनिक नहीं,
    तो फिर उनके नाम भी काल्पनिक नहीं !
    जिस दिन उन नामों का मुज़ाहिरा होगा ,
    आप फ़ेसबुक पर उनसे रूबरू हो पाएँगे :)
    _____ डॉ. प्रतिभा स्वाति

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