Wednesday, 4 May 2016

हाइकू :बच्चे - बुज़ुर्ग

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 बच्चे - बुज़ुर्ग 
बढ़ गई दूरियां
मजबूरियां
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पेड़ खजूर 
धरा और आकाश 
क्यूँ हुए दूर 
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दिले नाशाद
अब रोता अकेला
है अलबेला 
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सब  गंवाई 
जोड़कर पाई -पाई 
व्यथा - रुलाई 
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बदलती हैं 
रोज़ ही परिभाषा 
आशा निराशा 
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रिश्तों की लाश 
हरकोई ढो रहा 
सब खो रहा 
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पुण्य  या पाप 
मन ही का संताप 
अपनेआप
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धन का लोभ 
दिल में पलता है 
क्यूँ खलता है
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न कर चाह 
पूनम का ग्रहण 
चंद्र की आह 
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__________________ डॉ .प्रतिभा स्वाति



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