सच पूछिए तो जो हुआ __________ उसकी कड़ी निंदा होनी चाहिए , होनी ही चाहिए ......और हो भी रही है ! जनता का रक्त खौलना चाहिए , देश का मुद्दा है ______ खून के उस खौलने में रंच -मात्र कमी नहीं रही ! रही बात प्रतिशोध की तो यहाँ पर घटना में ज़रा -सा झोल है !!!
अब यदि विश्व -स्तर पर कोई विवशता है ,तो जनता बिचारी क्या करे ? ये काम तो बिसात पर बिराजे वज़ीरे-आला ही को करना होगा . उन्हें ये सिखाने के लिए चाणक्य या हिटलर ,गांधीजी या ईसामसीह या बुद्ध - महावीर तो आएँगे नहीं !
लेकिन जब बड़े- बड़े बोल बोले गए थे हिलाके हाथ ,तब ज़रा -सा सोच लेते . जनता बिचारी सच्ची मान गई . जनता बेचारी ही होती है . भोली . बालक समान , पल में तोला -पल में माशा . अरे भाई जब 17 की शहादत सुनी तो __________ क्या उम्मीद करते हैं ? जनता पूछेगी वो कौन थे ? उनके नाम क्या थे ? वे कैसे दुश्मन की चपेट में आ गए ? अब बाकी को तो कोई खतरा नहीं ? अरे भैय्या उनसे कहो ज़रा सावधानी से रहें सीमा पे , दुश्मन बड़ा नीच है ह्म्म्म्म ? जनता यानी प्रजा वो तो सन्तान जैसी है _________ कुत्ता काटेगा तो बच्चा बोलेगा " पापा मारो साले को " अब ये तो पापा तय करेंगे पहले डॉक्टर को बुलाएं , ड्रेसिंग करे या बच्चे को ले जाएँ ! कुत्ते को तो बाद ही में देखा जाएगा . काटा तो क्यूँ काटा ? कटखना है ? पालतू है ? पागल है ? कहीं बच्चे ने दुम पे पाँव तो नहीं रख दिया ?
पर इस 17 वाली घटना में पापा जानते हैं , कुत्ता पागल है . फ़िर सवाल ये है की बच्चे सावधान क्यूँ नहीं थे ? आख़िर इतना बड़ा रिस्क ? या फ़िर उस वक्त कोई लापरवाही हुई ....जिससे कुत्तों को मौका मिल गया . बात यूँ है की हम इन पागल कुत्तों का कुछ बिगाड़ नहीं सकते , वो पड़ोसी के हैं और पड़ोसी से हमारी कट्टर दुश्मनी है ________ ये बात सब बच्चे जानते हैं ....... फ़िर भी . अभी पापा पड़ोसी को निपटाने की जुगत में है की पास- पड़ोसी , नाते रिश्तेदार सब चले आए नसीहतें देने ...... अब .....?
मामला बाबा दादा के जमाने से चला आ रहा है __________ अदालत में निपटारा हो सकता है !पर यहाँ तो वकील पर ही गाड़ी अटकी पड़ी है . अरे भई पड़ोसी को अदालत में निपटा लीजो ........... कुत्तों को तो मारो ! के उसके लिए भी शाही फरमान चाहिए ! इत्ती -सी बात बच्चा समझता है ............ 'तन्ने समझ नि आवे ?' hmmmm ?
_
यदि यद्ध हुआ तो ? ये कोई बच्चों का खेल नहीं !
अगली नस्लें भी खामियाज़ा भुगतेंगी ______ भोली जनता !
____________ अब इस मर्ज़ के इलाज़ के लिए हिटलर + चाणक्य के मेल से इज़ाद एक चुपचाप बम की ज़ुरूरत है की _____ सांप भी मर जाए और लाठी भी ना टूटे !
_______अगर कुछ फ़ौजी vdo और pm के पिछले हवाबाजी वाले भाषणों के हवाले से जनता ये मान बैठी है की हल्ला बोल की तर्ज़ पर हमला हो , तो ये तो शुरुआत होगी ! फ़िर होगा युद्ध ! और ये कतई ज़ुरूरी नहीं की ये सिर्फ़ भारत - पाक के बीच हो , समर्थन कर्ता और सहयोगी दूसरे देश भी कूद सकते हैं साथ में . हो सकता है ये विश्व -युद्ध में परिणित हो जाए , तब ? कौन ज़िम्मेदार होगा ,परिणाम के लिए ?
नहीं मालूम तो मालूम कीजिये ! पिछले युद्धों के हवाले काफ़ी नहीं ? हद है मूर्खता की ! क्रोध - रोष जायज है पर विवेक ताक पर रखकर ? बचपन में स्कूल नहीं गए ? भूल गए नागासाकी और हिरोशिमा का हश्र ? महाभारत तो देखी ही होगी ? क्या बचा था अंत में ? अशोक को क्या मिला था विजय के बाद ? सिर्फ़ राम -रावण युद्ध में जन-संहार कम हुआ होगा , ऐसा सोच सकते हैं , दोनों पक्ष समझदार थे , और लंका के विरोध में अयोध्या नहीं वानरसेना थी ! है हमारे पास ?
______________देखिये मैं कोई कायराना 'मोड' पर नहीं हूँ . न ही देश के मनीषियों को विवाद के लिए आमंत्रित कर रही हूँ . सीधी सी बात ,सीधे से तरीके से सीधी-सादी जनता को समझाना चाह रही हूँ ! जो जन आज 17 की मृत्यु पर आपा खो रहे हैं ------- उनको अंदाज़ होना चाहिए कि जिस युद्ध को वो बदला या हल मान रहे हैं उसमे सैकड़ों लाशें बिछ जाएंगी . जिस ज़रा -सी महंगाई के बढ़ने पर वो कोहराम बरपा देते हैं वो सुरसा जैसे कई गुना बड़ा मुंह करके सामने आएगी !
___________ हवाई हमले भी होंगे ! बोलो हो सब मरने के लिए तैयार ? बोलो ?
______________________ डॉ. प्रतिभा स्वाति
अब यदि विश्व -स्तर पर कोई विवशता है ,तो जनता बिचारी क्या करे ? ये काम तो बिसात पर बिराजे वज़ीरे-आला ही को करना होगा . उन्हें ये सिखाने के लिए चाणक्य या हिटलर ,गांधीजी या ईसामसीह या बुद्ध - महावीर तो आएँगे नहीं !
लेकिन जब बड़े- बड़े बोल बोले गए थे हिलाके हाथ ,तब ज़रा -सा सोच लेते . जनता बिचारी सच्ची मान गई . जनता बेचारी ही होती है . भोली . बालक समान , पल में तोला -पल में माशा . अरे भाई जब 17 की शहादत सुनी तो __________ क्या उम्मीद करते हैं ? जनता पूछेगी वो कौन थे ? उनके नाम क्या थे ? वे कैसे दुश्मन की चपेट में आ गए ? अब बाकी को तो कोई खतरा नहीं ? अरे भैय्या उनसे कहो ज़रा सावधानी से रहें सीमा पे , दुश्मन बड़ा नीच है ह्म्म्म्म ? जनता यानी प्रजा वो तो सन्तान जैसी है _________ कुत्ता काटेगा तो बच्चा बोलेगा " पापा मारो साले को " अब ये तो पापा तय करेंगे पहले डॉक्टर को बुलाएं , ड्रेसिंग करे या बच्चे को ले जाएँ ! कुत्ते को तो बाद ही में देखा जाएगा . काटा तो क्यूँ काटा ? कटखना है ? पालतू है ? पागल है ? कहीं बच्चे ने दुम पे पाँव तो नहीं रख दिया ?
पर इस 17 वाली घटना में पापा जानते हैं , कुत्ता पागल है . फ़िर सवाल ये है की बच्चे सावधान क्यूँ नहीं थे ? आख़िर इतना बड़ा रिस्क ? या फ़िर उस वक्त कोई लापरवाही हुई ....जिससे कुत्तों को मौका मिल गया . बात यूँ है की हम इन पागल कुत्तों का कुछ बिगाड़ नहीं सकते , वो पड़ोसी के हैं और पड़ोसी से हमारी कट्टर दुश्मनी है ________ ये बात सब बच्चे जानते हैं ....... फ़िर भी . अभी पापा पड़ोसी को निपटाने की जुगत में है की पास- पड़ोसी , नाते रिश्तेदार सब चले आए नसीहतें देने ...... अब .....?
मामला बाबा दादा के जमाने से चला आ रहा है __________ अदालत में निपटारा हो सकता है !पर यहाँ तो वकील पर ही गाड़ी अटकी पड़ी है . अरे भई पड़ोसी को अदालत में निपटा लीजो ........... कुत्तों को तो मारो ! के उसके लिए भी शाही फरमान चाहिए ! इत्ती -सी बात बच्चा समझता है ............ 'तन्ने समझ नि आवे ?' hmmmm ?
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यदि यद्ध हुआ तो ? ये कोई बच्चों का खेल नहीं !
अगली नस्लें भी खामियाज़ा भुगतेंगी ______ भोली जनता !
____________ अब इस मर्ज़ के इलाज़ के लिए हिटलर + चाणक्य के मेल से इज़ाद एक चुपचाप बम की ज़ुरूरत है की _____ सांप भी मर जाए और लाठी भी ना टूटे !
_______अगर कुछ फ़ौजी vdo और pm के पिछले हवाबाजी वाले भाषणों के हवाले से जनता ये मान बैठी है की हल्ला बोल की तर्ज़ पर हमला हो , तो ये तो शुरुआत होगी ! फ़िर होगा युद्ध ! और ये कतई ज़ुरूरी नहीं की ये सिर्फ़ भारत - पाक के बीच हो , समर्थन कर्ता और सहयोगी दूसरे देश भी कूद सकते हैं साथ में . हो सकता है ये विश्व -युद्ध में परिणित हो जाए , तब ? कौन ज़िम्मेदार होगा ,परिणाम के लिए ?
नहीं मालूम तो मालूम कीजिये ! पिछले युद्धों के हवाले काफ़ी नहीं ? हद है मूर्खता की ! क्रोध - रोष जायज है पर विवेक ताक पर रखकर ? बचपन में स्कूल नहीं गए ? भूल गए नागासाकी और हिरोशिमा का हश्र ? महाभारत तो देखी ही होगी ? क्या बचा था अंत में ? अशोक को क्या मिला था विजय के बाद ? सिर्फ़ राम -रावण युद्ध में जन-संहार कम हुआ होगा , ऐसा सोच सकते हैं , दोनों पक्ष समझदार थे , और लंका के विरोध में अयोध्या नहीं वानरसेना थी ! है हमारे पास ?
______________देखिये मैं कोई कायराना 'मोड' पर नहीं हूँ . न ही देश के मनीषियों को विवाद के लिए आमंत्रित कर रही हूँ . सीधी सी बात ,सीधे से तरीके से सीधी-सादी जनता को समझाना चाह रही हूँ ! जो जन आज 17 की मृत्यु पर आपा खो रहे हैं ------- उनको अंदाज़ होना चाहिए कि जिस युद्ध को वो बदला या हल मान रहे हैं उसमे सैकड़ों लाशें बिछ जाएंगी . जिस ज़रा -सी महंगाई के बढ़ने पर वो कोहराम बरपा देते हैं वो सुरसा जैसे कई गुना बड़ा मुंह करके सामने आएगी !
___________ हवाई हमले भी होंगे ! बोलो हो सब मरने के लिए तैयार ? बोलो ?
______________________ डॉ. प्रतिभा स्वाति
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