Tuesday, 12 August 2014

haiga .. भ्रमर

  ___________   इंसान  की अपनी प्रकृति है !उसका अपना जुडाव है प्रकृति से !
______________ पर नजदीकियां बनाने की कोशिश में वो प्रकृति से दिनोदिन  दूर हो रहा है !फूल कागज़ी और खुशबू ' परफ्यूम ' की शीशी में बंद !...... ज्यादा हुई चाहत / तो चार गमले ! ऐसे में कैसी तितली और कैसे भ्रमर ....
____________ अभी भी मौका है / हम चाहें तो ठहर सकते हैं .... लौट सकते हैं ...

3 comments:

  1. लौट तो सकते हैं पर कौन चाहता है लौटना ... सुन्दर हाइगा ...

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