सिक्का जेब से कब गिरा ...
पता ही ना चला !
रखा तो याद से था ....
तो भूली कैसे भला ?
याद रखना और भूल जाना
इनसानी फ़ितरत है !
बात सिक्के की हो ...
या फिर रिश्ते की !
इसी याद और भूल से
कब ...कहाँ ...क्या -क्या
खो बैठे हैं हम ?
इसका कोई हिसाब नहीं !
यूँ हमें हिसाब खूब आता है
2 और 2 का चार नहीं बनता
जुगाड़ करते हैं हमेशा
1 और 1 ग्यारह हो जाए !
मै भूल गई हूँ फिर ...
वो सिक्के वाली बात !
वो रिश्ते वाली बात !
वो खोने वाली बात !
दुःख होने वाली बात !
क्यूंकि इस बार कुछ ...
खो नहीं रहा ...
खत्म हो रहा है सब !
धीरे - धीरे कभी तेज़ !
जा रही है जानें ....
खोखले हो रहे दिलासे ...
फुसला रहे हैं इलाज
झूठी और सच्ची खबरे
सब -कुछ गड्ड-मड्ड !
दरमियान मीटर भर की दूरी
और 50,000 का आंकड़ा
इसमें मृतक शुमार नहीं है
1500 वे भी है जो नही हैं !
जाने क्यूँ मुझे लगता है ...
वे सब ....यहीं हैं ....
हाँ .......यहीं कहीं हैं .. !
___________________________ डॉ .प्रतिभा स्वाति
पता ही ना चला !
रखा तो याद से था ....
तो भूली कैसे भला ?
याद रखना और भूल जाना
इनसानी फ़ितरत है !
बात सिक्के की हो ...
या फिर रिश्ते की !
इसी याद और भूल से
कब ...कहाँ ...क्या -क्या
खो बैठे हैं हम ?
इसका कोई हिसाब नहीं !
यूँ हमें हिसाब खूब आता है
2 और 2 का चार नहीं बनता
जुगाड़ करते हैं हमेशा
1 और 1 ग्यारह हो जाए !
मै भूल गई हूँ फिर ...
वो सिक्के वाली बात !
वो रिश्ते वाली बात !
वो खोने वाली बात !
दुःख होने वाली बात !
क्यूंकि इस बार कुछ ...
खो नहीं रहा ...
खत्म हो रहा है सब !
धीरे - धीरे कभी तेज़ !
जा रही है जानें ....
खोखले हो रहे दिलासे ...
फुसला रहे हैं इलाज
झूठी और सच्ची खबरे
सब -कुछ गड्ड-मड्ड !
दरमियान मीटर भर की दूरी
और 50,000 का आंकड़ा
इसमें मृतक शुमार नहीं है
1500 वे भी है जो नही हैं !
जाने क्यूँ मुझे लगता है ...
वे सब ....यहीं हैं ....
हाँ .......यहीं कहीं हैं .. !
___________________________ डॉ .प्रतिभा स्वाति
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ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना ।
ReplyDeleteथैंक्स मधुलिका जी
Deleteअंतर्निहित भावनाओं को सलाम...!!
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