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खिलता है यूँ नागफनी...
वो मौसम है .... मेरे दिल का टुकड़ा ही , मुझको छलता है ! जैसे कोई मौसम है , जो रोज़ बदलता है ! इक गुनाह माफ़ करती हूँ , आ...

मेरी 7 कविताएँ u tube पर
- my vdo (19)
Thursday, 22 May 2014
Sunday, 18 May 2014
Saturday, 17 May 2014
तर्क / भाग 1
तर्क ----- ये वो शब्द है , जिससे तमाम शब्दों के तन्तु ,प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से जुड़े हैं . जैसे तर्क का अर्थ ,अभिप्राय ,जन्म ,इतिहास ,परिभाषा ,शास्त्र ,इससे जुड़े लोग ,इसका कार्यक्षेत्र ,इसके प्रभाव , परिणाम और ज़ुरूरत !इसके सबसे नज़दीक जो शब्द है / वो है ' कुतर्क ':)
भारतीय दर्शन में / प्रमाणशास्त्र की विषयवस्तु में ,तर्कशास्त्र शामिल है . इसके प्रवर्तक ' अरस्तु ' हैं , ऐसा माना जाता है . सुकरात और प्लेटो के नाम भी जुड़े हैं . मार्गन और बूल (ये अंग्रेज़ गणितग्य थे ), जिन्होंने इस क्षेत्र में अपना योगदान दिया .
कुल मिलाकर तर्कशास्त्र कोई हल्की - फ़ुल्की चीज़ नहीं है ,जिसकी चर्चा यूँ ही चलते -फिरते , चाय /पान के साथ की जा सके . लेकिन , आम आदमी इसकी चपेट में आता रहता है ! वह निरुत्तर हो जाता है ! किसलिए ? क्या तर्क का सम्बन्ध शिक्षा / प्रत्युतपन्नमति / चिन्तन या गहन अध्ययन से है ?
गणित से है ? सिद्धांत और विश्लेषण से है ?
भारतीय दर्शन के परिप्रेक्ष्य में , इसका सम्बन्ध न्याय शास्त्र से है ! इसीलिए खूब चलते हैं तर्क के तीर/तलवार .न्यायालय में ! तर्क दोधारी तलवार है ! तर्क का सम्बन्ध , सच -सही -न्यायसंगत होना चाहिये ( नैतिक और सैद्धांतिक तौर पे )
-------------------- कई विषय ऐसे हैं --- जिन्हें मैं , समझना और समझाना चाहती हूँ ! छूना चाहती हूँ ! जिनमें डूबना चाहती हूँ ! जिनके प्रवाह में बहना चाहती हूँ ! जिनपर चर्चा करना चाहती हूँ ! विषयवस्तु , मुक्तक की तरह बिखरी पड़ी है , मस्तिष्क में ! उसे इज़हार का हक़ है ! फर्ज़ मुझे ललकारते हैं , मेरी कविताई और कल्पनाशीलता को कोसते हैं, यदि ------- चिन्तन / स्रजन /ध्यान बाधित हों तो !
जिन भी विषयों को छुआ है / वक्त मिलते ही उन्हें edit करूंगी ! या comment में अपनी बातें पूरी लिखूंगी / जिससे लेखन के ज़रिये वो पूरी तस्वीर सामने आए ! जो आने वाली नस्लों को विस्तृत वितान देने का वादा भले ना करे , पर मंज़िल तक पहुँचाने वाली , पगडंडी साबित हो !
-------------------------- जारी
-------------------------------------- डॉ. प्रतिभा स्वाति
भारतीय दर्शन में / प्रमाणशास्त्र की विषयवस्तु में ,तर्कशास्त्र शामिल है . इसके प्रवर्तक ' अरस्तु ' हैं , ऐसा माना जाता है . सुकरात और प्लेटो के नाम भी जुड़े हैं . मार्गन और बूल (ये अंग्रेज़ गणितग्य थे ), जिन्होंने इस क्षेत्र में अपना योगदान दिया .
कुल मिलाकर तर्कशास्त्र कोई हल्की - फ़ुल्की चीज़ नहीं है ,जिसकी चर्चा यूँ ही चलते -फिरते , चाय /पान के साथ की जा सके . लेकिन , आम आदमी इसकी चपेट में आता रहता है ! वह निरुत्तर हो जाता है ! किसलिए ? क्या तर्क का सम्बन्ध शिक्षा / प्रत्युतपन्नमति / चिन्तन या गहन अध्ययन से है ?
गणित से है ? सिद्धांत और विश्लेषण से है ?
भारतीय दर्शन के परिप्रेक्ष्य में , इसका सम्बन्ध न्याय शास्त्र से है ! इसीलिए खूब चलते हैं तर्क के तीर/तलवार .न्यायालय में ! तर्क दोधारी तलवार है ! तर्क का सम्बन्ध , सच -सही -न्यायसंगत होना चाहिये ( नैतिक और सैद्धांतिक तौर पे )
-------------------- कई विषय ऐसे हैं --- जिन्हें मैं , समझना और समझाना चाहती हूँ ! छूना चाहती हूँ ! जिनमें डूबना चाहती हूँ ! जिनके प्रवाह में बहना चाहती हूँ ! जिनपर चर्चा करना चाहती हूँ ! विषयवस्तु , मुक्तक की तरह बिखरी पड़ी है , मस्तिष्क में ! उसे इज़हार का हक़ है ! फर्ज़ मुझे ललकारते हैं , मेरी कविताई और कल्पनाशीलता को कोसते हैं, यदि ------- चिन्तन / स्रजन /ध्यान बाधित हों तो !
जिन भी विषयों को छुआ है / वक्त मिलते ही उन्हें edit करूंगी ! या comment में अपनी बातें पूरी लिखूंगी / जिससे लेखन के ज़रिये वो पूरी तस्वीर सामने आए ! जो आने वाली नस्लों को विस्तृत वितान देने का वादा भले ना करे , पर मंज़िल तक पहुँचाने वाली , पगडंडी साबित हो !
-------------------------- जारी
-------------------------------------- डॉ. प्रतिभा स्वाति
सॉनेट / भाग 1
एक आम पाठक , जो व्याकरण की जद्दोजहद में नहीं पड़ता ! काव्य को पसंद करता है . उसे फर्क समझ में आता है ---- गद्य और पद्य का ! कविता और अकविता का ! पहचान लेता वो ---- दोहे और चौपाई !
कोई शब्दों की धार पसंद करता है / तो कोई भावों का प्रवाह . कोई सम्वेदना के सम्प्रेषण को अपनी अनुभूति के इज़हार की तरह ग्रहण करता है , तो कोई .............
काव्य / हर देश में, हर भाषा में लोकप्रिय रहा . हर काल में ! हम कह सकते हैं . कमोबेश , हर हाल में कवि ने अपने दायित्व के निर्वाह की कोशिश की है ! विदेशी काव्य को , बड़ी आत्मीयता से स्वीकारा - सराहा और स्रजित किया है !
जापान के हाइकू / हाईगा /टंका / सेदोका / चोका हों ! या फिर ----------------------- ' सॉनेट '
-------------------------- जी हाँ ! ये भारत के नहीं / पर हमारे काव्यजगत में लिखे और सराहे गए ! सॉनेट का विभाजन / उसकी रचनात्मक भिन्नता के अनुसार 4 भागों में ही किया गया ! शेक्स्पिरियन सॉनेट के बाद ------------------- 5 वे स्थान पर / स्व. त्रिलोचन जी को रखा जा सकता है , उन्होंने 550 से ज्यादा सॉनेट लिखे , हिंदी में !---------------------------- जारी....
डॉ. प्रतिभा स्वाति
कोई शब्दों की धार पसंद करता है / तो कोई भावों का प्रवाह . कोई सम्वेदना के सम्प्रेषण को अपनी अनुभूति के इज़हार की तरह ग्रहण करता है , तो कोई .............
काव्य / हर देश में, हर भाषा में लोकप्रिय रहा . हर काल में ! हम कह सकते हैं . कमोबेश , हर हाल में कवि ने अपने दायित्व के निर्वाह की कोशिश की है ! विदेशी काव्य को , बड़ी आत्मीयता से स्वीकारा - सराहा और स्रजित किया है !
जापान के हाइकू / हाईगा /टंका / सेदोका / चोका हों ! या फिर ----------------------- ' सॉनेट '
-------------------------- जी हाँ ! ये भारत के नहीं / पर हमारे काव्यजगत में लिखे और सराहे गए ! सॉनेट का विभाजन / उसकी रचनात्मक भिन्नता के अनुसार 4 भागों में ही किया गया ! शेक्स्पिरियन सॉनेट के बाद ------------------- 5 वे स्थान पर / स्व. त्रिलोचन जी को रखा जा सकता है , उन्होंने 550 से ज्यादा सॉनेट लिखे , हिंदी में !---------------------------- जारी....
डॉ. प्रतिभा स्वाति
Wednesday, 14 May 2014
Saturday, 10 May 2014
DR. PRATIBHA SOWATY: सेदोका : बचपन
DR. PRATIBHA SOWATY: सेदोका : बचपन:
गुड्डे - गुड़िया !
खेले थे घर - घर !
अब गया बिसर !
यादों के पर !
ये उड़- उड़ कर !
आएं अक्सर !
----------------------- डॉ. प्रतिभा स्वाति
गुड्डे - गुड़िया !
खेले थे घर - घर !
अब गया बिसर !
यादों के पर !
ये उड़- उड़ कर !
आएं अक्सर !
----------------------- डॉ. प्रतिभा स्वाति
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