वो मौसम है .... मेरे दिल का टुकड़ा ही , मुझको छलता है ! जैसे कोई मौसम है , जो रोज़ बदलता है ! इक गुनाह माफ़ करती हूँ , आ...
______________________________________________________________" मैंने लिखे हैं , तमाम _ हाइकू /हाईगा /तांका / चोका /सेदोका /सॉनेट और कविताएँ :)"_____ डॉ. प्रतिभा स्वाति" __________________________________ ______________
jakham thik ho jate hai but nishan rah jate hai
अवश्यम भावी !जीवन - मौत मेल !काल का खेल !
:)
JIVAN ME KUCH BHI SAMBHAV,MAGAR JI VAN ME LAGTA KAHAN HAIN.
fb team
jakham thik ho jate hai but nishan rah jate hai
ReplyDeleteअवश्यम भावी !
ReplyDeleteजीवन - मौत मेल !
काल का खेल !
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