Sunday, 17 March 2013


चाहता फूल !
फिर भी फितरत !
बोता बबूल !
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4 comments:

  1. समज लेना !
    जो बोये वही पाए !
    है मंत्र मूल !

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  2. कटु वचन
    काटों मे उलझाते
    अस्तित्व खोते

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